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Lyrics

04 AVADHU MAYATA JI NA JAAYI.mp3


Album: KAHEN KABIR II (2006)

अवधू, माया तजी ना जाई

अवधू, माया तजी ना जाई -2
गिरह तज़के बस्तर बाँधा, बस्तर तज़के फेरी
माया तजी ना जाई, अवधू, माया तजी ना जाई

काम तजे ते क्रोध ना जाई, -2, क्रोध तजे ते लोभा
लोभ तजे अहंकार ना जाई, मान बधाई सोभा
माया तजी ना जाई, अवधू, माया तजी ना जाई
गिरह तज़के बस्तर बाँधा, बस्तर तज़के फेरी
माया तजी ना जाई, अवधू, माया तजी ना जाई

मन बैरागी, माया त्यागी - 2, शब्द में सुर्त समाइ -2
कहें कबीर सुनो भाई साधो, यह गम बिरले पाई
माया तजी ना जाई, अवधू, माया तजी ना जाई
गिरह तज़के बस्तर बाँधा, बस्तर तज़के फेरी
माया तजी ना जाई, अवधू, माया तजी ना जाई -2




विवरण
कबीर जी कहते हैं कि मनुष्य, माया के विकराल फन्दों को काटने में लगा रहता है, परन्तु एक न एक के आगे हार जाता है। जैसे कि गृहस्थी, गेरूआ वस्त्र, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार व मान इत्यादि। यदि इन सब से एक साथ छूटना है तो मन को वैरागी कर, माया से पीछा छुड़ाना होगा। ऐसा होते ही मानव चेतना सत्य में टिक जाएगी। यह पथ तो कोई सौभागी ही अपनाता है।



ENGLISH TRANSLATION

Tell me, Brother, how can I renounce Maya?
When I gave up the tying of ribbons, still I tied my garment about me:
When I gave up tying my garment, still I covered my body in its folds.
So, when I give up passion, I see that anger remains;
And when I renounce anger, greed is with me still;
And when greed is vanquished, pride and vainglory remain;
When the mind is detached and casts Maya away, still it clings to the letter.
Kabir says, "Listen to me, dear Sadhu! the true path is rarely found."