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Lyrics
09 MOKO KAHAN DHOONDE BANDE.mp3
Album: KAHEN KABIR I (2006)
मो को कहाँ ढूंडे बंदे
मो को कहाँ ढूंडे बंदे, मै तो तेरे पास में,
ना मई देवल ना मैं मस्जिद, ना काबे कैलाश में
मो को कहाँ ढूंडे बंदे...
ना तो कौन क्रिया-करम में -2, ना ही योग बैराग में
खोजी होए तो तुरतें मिलीहो -2 पल भर की तलास में
कहें कबीर सुनो भाई साधो! सब स्वसों की स्वास में
मो को कहाँ ढूंडे बंदे.......
विवरण – मोको कहाँ ढूंडे बंदे
हमें आज भी कबीर साहिब के नेतृत्व की ज़रूरत है. उस रोशनी की, जो उन्के दिल में पैदा हुई थी. आज दुनिया आज़ाद हो रही है. विज्ञान की प्रगती ने मनुष्य का प्रभुत्व बढ़ाया है. उद्योगों ने उसके बहू-बाल पर वृद्दी की है. वह सितारों पर कमांडें फेंक रहा है. फिर भी वह तुच्छ है, संकट-ग्रस्त है, दुखी है. वह रंगों में बँटा हुआ है. जातियों में विभाजित है. उसके बीच धर्मों की दीवारें खड़ी हुई हैं. संप्रदायक द्वेष है. वर्ग-संघर्ष की तलवारें खीचीं हुई हैं. दिलों में अंधेरे हैं. छोटे-छोटे स्वार्थ और दंभ हैं, जो मनुष्य को मनुष्य का शत्रु बना रहे हैं. वह अपनी बदी का गुलाम बना जा रहा है. इसीलिए, उक्सो एक नए विश्वास, एक नई आस्था, एक नए प्रेम की आवश्यकता है. कबीर साहिब की यही पुकार, इक नई आवाज़ बनकर सुनाई देती है………….
ENGLISH TRANSLATION
O servant! where do thy seek me? Lo ! I am beside thee. I am neither in the Temple, nor in the Mosque. I am neither in Kaba, nor in Kailash. Neither am I in Rights & Ceremonies, nor in unfounded Yoga & renunciation. If thou art a true seeker, thou shalt at once see me. Thou shalt meet me in a moment of time. Kabir says - O Sadhu! The lord pulsates in every breath.