Go Back
Lyrics

08 Toko Peev Milenge.mp3


Album: KAHEN KABIR I (2006)

तोको पीव मिलेंगे

तोको पीव मिलेंगे, घूँघट के पट खोल रे -2

घट-घट में वही साईं रमता -2, कटूत वचन मत बोल
घूँघट के पट खोल रे...
तोको पीव मिलेंगे, घूँघट के पट खोल रे -2

धन जोबन को गरब ना कीजे -2, झूठा पचरण चोल
सुन्न-महल में जियरा बारले -2, आसा सो मत डोल रे
घूँघट के पट खोल रे...
तोको पीव मिलेंगे, घूँघट के पट खोल रे -2

जोग जुगत सौं रंग-महल में -2, पिया पाई अनमोल
कहें कबीर आनंद भयो रे -2, बाजे अन्हद ढोल रे
घूँघट के पट खोल रे...
तोको पीव मिलेंगे, घूँघट के पट खोल रे -3




विवरण – तोको पीव मिलेंगे

कबीर साहिब का कहना है, की मनुष्य के मन और बुद्धि पर अहंकार का परदा है. यदि यह घूंघट खुल जाए, तो ईश्वर प्राप्ति का मार्ग स्पष्ट है. हर मनुष्य में एक ही प्रभु का अंश है. फिर कड़वे बोल, धन और यौवन का अभिमान कैसा? यह जिस्म, जो की पाँच तत्त्वों का इक नश्वर चोला है, यहाँ आत्मा का चिराग है, जो अनश्वर है. यहाँ तो बस एक ही आस है, की जब परमात्मा से योग घट जाएगे, तभी यह रंग महल प्रीतम के स्वागत के योग्य होगा……..



ENGLISH TRANSLATION

The mind is clouded with ignorance and accumulations of the ego. Remove these, and thou shall attain union with thy beloved. He, the Supreme, exists in every human. Then how can I speak harsh words. Pride not over material wealth or youth, as thy body of five elements is illusive and so it perishes. It is the spirit within that shines. The glow of its glory reflects its zero state. It keeps a hope alive, that thou may lose not. Through true yoga, this body becomes his divine abode. Kabir says - Only then there is joy, that reflects in every beat of the heart.