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Lyrics

2 MAN TUM NAHAK.mp3


Album: KABIR SUR SANGAM(1991)

मन तुम नाहक

मन तुम नाहक दंुद मचाये।
करि आसमान छुवो नहिं काहू, पाती फूल चढ़ाये।
मुरति से दुनिया फल मांगे, अपने हाथ बनाये।

यह जग पूजै देव-देहरा, तीरथ-व्रत-अन्हाये।
चलत-फिरत में पाव थकिंत थे, यह दुख कहां समाये।।

झूठी काया झूठी माया झूठे झूठे झूठल खाये।
बाॅजिन गाय दूध नहीं देहे, माखन कहं से पाये।।

साँचे के संग साँच बसत है, झूठे मारि हटाये।
कहे कबीर जहां सांच वस्तु है, सहजै दरसन पाये।।

मन तुम नाहक दंुद मचाये।
करि आसमान छुवो नहिं काहू, पाती फूल चढ़ाये।
मुरति से दुनिया फल मांगे, अपने हाथ बनाये।
मन तुम नाहक दंुद मचाये। -2



विवरण

धर्म के मार्तदण्डों की ओर इशारा करते हुए कबीरदास ने मानव मन को संबोधित किया है। ‘‘ए मन यह धर्म के रखवाले स्नान करके तिलक लगाते हैं और आत्मा को छोड़ पत्थर की पूजा करते हैं। वे बाहृय पूजा-अर्चना में अपना समय गवांकर अपनी आत्मा को एक पल में मार देते हैं और खून की नदियां बहा देते हैं। क्या वे पवित्र है व ऊंचे कुल के हैं? लोगों का पाप काटने के लिए कथा सुनाते हैं और उन्हीें से बहुत नीच काम करवाते हैं वे कब्र दिखाकर लोगों को मुरीद बनाते है, ज़ाहिर कि उन्होंने खुद को नहीं पहचाना। ए मन, मैंने दोनों को एक साथ डूबते देखा है।
कबीर जी का संकेत मन की इस घनघोर घटा से, उस उजाले की ओर है, जहां आत्मा के प्रकाश से ही झूठ के अंधेरे मिटते हैं और सत्य का सहज में ही साक्षात्कार हो जाता है।

TRANSLATION

O Mana (mind) you are aimlessly creating confusion. This world creates its own stone idol images of Gods and Goddesses and worships them. By showering Flowers one cannot reach out to the skies of spiritual heights. It undertakes journeys to places of worship, keeping fasts and bathing in holy waters. In this process it yields to fatigue of the body. This is an illusion emanating from falsehood, and therefore all that one consumes is nothing but falsehood. In the absence of truth, how does one expect the fruits of Joy. Unless the cow is capable of producing pure milk, how can one expect butter from it. TRUTH lies in the ATMAN of a True Seeker. His true desire eliminates the falsehood. Kabir says, Truth in any form /material reveals itself simply through waves of a subtle union between the Atman and the Paramatman.