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Lyrics

2 MOHI TOHI LAGI.mp3


Album: KABIR BHAJNAMRIT(1993)

मोहि तोहि लागी

मोहि-तोहि लागी, कैसे छूटे. -4, कैसे छूटे, कैसे छूटे, कैसे छूटे!
मोहि-तोहि लागी, कैसे छूटे.- -2

जैसे कमल्पत्र जलबासा, ऐसे तुम साहिब हम दासा -2
ऐसे तुम साहिब हम दासा -2
मोहि-तोहि लागी, कैसे छूटे.- -2

जैसे चकोर ताक़त निस चंदा -2, ऐसे तुम साहिब हम बंदा -2
ऐसे तुम साहिब हम बंदा
मोहि-तोहि लागी, कैसे छूटे.- -2

मोहि तोहि आदि-अंत बन आई, -2 अब कैसे लगान दुराई -2
अब कैसे लगान दुराई
मोहि-तोहि लागी, कैसे छूटे.- -2

कहें कबीर, हमारा मान लागा-2, जासे सरिता सिन्द समाई -2
जासे सरिता सिन्द समाई
मोहि-तोहि लागी, कैसे छूटे. -4, कैसे छूटे, कैसे छूटे, कैसे छूटे!
मोहि-तोहि लागी, कैसे छूटे.- -2
कैसे छूटे -3




विवरण - मोहि तोहि लागी

जिस प्रकार नीर में रास्ना, रश्मि में प्रकाश रहता है, ठीक उसी प्रकार मानव अपने सांई से जुड़ा हुआ है. जिसका अनुभव वह भक्ति में डूब कर करता है. यही एक प्रेम अटूट है और अपने में पूर्ण है. इस सूक्ष्म अनुभूति को कबीर साहिब स्थूल में प्रमाण दे-दे कर समझा रहे हैं…….



ENGLISH TRANSLATION - GURUDEV RABINRANATH TAGORE

How could the love between thee and me sever? As the leaf of the lotus abides on the water - so thou art, my Lord! And I am thy servant. As the night-bird "Chakor" gazes all night at the moon, so thou art my Lord! And I am thy servant. From the beginning until the ending of time, there is love between thee and me. And how shall such love be extinguished? Kabir says, as the river enters into the ocean, so my heart touches thee.