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Lyrics

06 Ik Lafse Mohabbat Ka.mp3


Album: ISHQ KA NAGMA (2003)

इक लफ्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फसाना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
इक लफ्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फसाना है

ये किस का तसव्वुर है ये कैसा का फसाना है
जो अश्क है आँखों में तसबीह का दाना है
मुझको इसी धुन में है हर लहज़ा बसर करना
अब आए वो अब आए, लाज़िम उन्हें आना है
इक लफ्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फसाना है

हम इश्क़ के मारों का इतना ही फसाना है
रोने को नही कोई हँसने को ज़माना है
ये इश्क़ नही आसान बस इतना समझ लीजे
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है
इक लफ्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फसाना है

अश्कों के तबस्सुम में आहों के तरन्नुम में
मासूम मोहब्बत का मासूम फसाना है
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है
हम खाक-नशीनों के ठोकर में ज़माना है
इक लफ्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फसाना है

या वो थे ख़फा हमसे या हम हैं खफा उन से
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
आँसू तो बहुत से हैं आँखों में ‘जिगर' लेकिन
बह जाए तो मोती है रह जाए सो दाना है

इक लफ्ज़-ए-मोहब्बत का अड़ना सा फसाना है
सिमते तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
इक लफ्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फसाना है



Ik lafz-e-mohabbat ka adana sa fasana hai
simate to dil-e-ashiq phaile to zamana hai
Ik lafz-e-mohabbat ka adana sa fasana hai

ye kis ka tasavvur hai ye kis ka fasana hai
jo ashk hai aankhon mein tasbih ka dana hai
mujhko isi dhun mein hai har lehza basar karna
ab aae vo ab aae, laazim unhen aana hai
Ik lafz-e-mohabbat ka adana sa fasana hai

hum ishq ke maron ka itna hi fasana hai
rone ko nahi koi hansane ko zamana hai
ye ishq nahi aasan itna to samajh lije
ek aag ka dariya hai aur dub ke jana hai
Ik lafz-e-mohabbat ka adana sa fasana hai

ashkon ke tabassum mein aahon ke tarannum mein
masum mohabbat ka masum fasana hai
kya husn ne samajha hai kya ishq ne jana hai
hum khak-nashinon ke thokar mein zamana hai
Ik lafz-e-mohabbat ka adana sa fasana hai

ya wo the khafa hum se ya hum the khafa un se
kal un ka zamana tha aj apana zamana hai
aansu to bahot se hain aankhon mein ‘jigar' lekin
bindh jaye so moti hai rah jaye so dana hai
Ik lafz-e-mohabbat ka adana sa fasana hai
simate to dil-e-ashiq phaile to zamana hai
Ik lafz-e-mohabbat ka adana sa fasana hai




प्रेम के दो अक्षर हैं. उनकी एक छोटी सी कहानी है.
अगर सिमट जाए तो आशिक़ का दिल है, और फैल जाए तो ज़माना है
ये किसकी कल्पना है, ये कैसी कहानी है. जो आँसू हैं आँखो मे,
वो पूजा में फेरने वाले मोटी हैं. मगर मुझे हर क्षण इस धुन में व्यतीत करना है
की वो कभी ना कभी तो आएँगे.
इश्क़ मैं हंसते तो सब हैं, पर साथ साथ रोता कोइ नहीं है. ये प्यार आसान नहीं है
इतना तो समझ लो. ये तो इक आग का दरिया है, जिसमे डूब कर ही निकलना है
आँसुओं की हँसी, और आहों का संगीत. यही मोहोब्बत की इक मासूम कहानी है.
हम खाख ज़मीन के वासियों की अब ठोकर में जगाना है.
समय बदलता रहता है. कल वो हमसे नाराज़ थे, आज हम उनसे.
कल उनका समय था, आज हमारा है.
आँखें भर आती हैं, और आँसू बहते हैं. यही आँसू मोती बन जाते हैं गर बह जाएँ
नहीं तो आँखों में दाना ही रह जाता है.